प्रकृति का संदेश
(प्रकृति का संदेश)
चिड़ियों से है उड़ना सीखा ,
तितली से इठलाना ।
भंवरो की गुंजन से सीखा ,
राग मधुरतम गाना ।
तेज लिया सूरज से हमने ,
चांद से शीतल छाया ।
टीम -टीम करते तारो की ,
हम समझ गए सब माया ।
सागर ने सिखलाई हमको ,
गहरी सोच की धारा ।
गगनचुंबी पर्वत से सीखा ,
हो ऊंचा लक्ष्य हमारा ।
समय की टिक - टिक ने समझाया ,
सदा ही चलते रहना ।
मुश्किल कितनी आन पड़े ,
पर कभी ना धीरज खोना ।
प्रकृति के कण - कण में है ,
सुन्दर सन्देश समाया ।
Who is the poet
ReplyDeleteWho is the poet of the rhyme
ReplyDeleteWho is the poet of the rhyme
ReplyDeletedid you find the poets name?
Delete