(कुछ यादें)

           (कुछ यादें)




आंखो में एक बीमारी सी रहती है
नज़रों में तस्वीर पुरानी रहती है।

अक्सर छत पर मिलने आ ही जाती थी
उन यादों की एक एक कहानी रहती है 

धीरे-धीरे सांसों से जब सांस मिलती थी
उन यादों की कारस्तानी रहती है ।

आकार मेरी बाहों में वी ऐसे छीप जाती थी
जैसे मेरे दिल में उसकी माई रहती है ।

लपेट रही थी दुपट्टा ऐसे मेरी उंगली में
ये तन्हा रात जैसे अब शरमाई रहती है ।

उसको खोकर में भी अब ये कहता हूं
ये फिराक रात अब कहा नशीली रहती है 


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