Kuch khash hai tu (कुछ खास है तू)


     (कुछ खास है तू)


जो भी है कुछ खास है तू
मेरे जीवन की एक अधूरी प्यास है तू ।

मेरे जीवन के पल-पल लम्हों का एहसास है तू
जो भी है कुछ खास है तू ।

कैसे कहूं क्या है तू
उमड़ती धूप की शीतल छाया है तू
या फिर ठंडी हवाओं का प्यारा सा एहसास है तू ।

भंवर में फंसे मुसाफिर का किनारा है तू
मेरे पास न होते हुए भी मेरे पास है तू ।

जो भी है कुछ खास है तू
जो भी है कुछ खास है तू ।
 

                                 📝📝दुर्गाप्रसाद सेन



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